कारगिल के शहीदों को नमन

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कैप्टन विक्रम बत्रा के जीवन से प्रेरणा लेकर देशसेवा के लिए आगे आएं युवा : आत्मप्रकाश बत्रा एमएम कॉलेज में कारगिल युद्ध में दुश्मनों को धूल चटाने वाले शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा को दी गई श्रद्धांजली फतेहाबाद, 9 सितम्बर। कारगिल युद्ध में अपने अदम्य साहस व शौर्य से दुश्मनों को धूल चटाने वाले परमवीर चक्र से सम्मानित शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा की पुण्यतिथि पर मनोहर मैमोरियल स्नातकोत्तर महाविद्यालय में श्रद्धांजली समारोह का आयोजन कर कैप्टन विक्रम बत्रा व कारगिल के वीर शहीदों को श्रद्धांजली अर्पित कर शत-शत नमन किया गया। कार्यक्रम में मुख्यअतिथि के तौर पर मनोहर मैमोरियल एजुकेशन सोसायटी के चेयरमैन आत्मप्रकाश बत्रा, प्रधान राजीव बत्रा व एमएम एजुकेशन कॉलेज के उपप्रधान संजीव बत्रा ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कॉलेज प्राचार्य डॉ. गुरचरण दास ने की व संचालन प्रो. संध्या अग्रवाल द्वारा किया गया। समारोह में एमएम एजुकेशन कॉलेज प्राचार्या डॉ. जनक रानी, कॉलेज स्टाफ सदस्यों व विद्यार्थियों ने वीर शहीदों को याद किया तथा मनोहर स्मृति पर भी पुष्प अर्पित किए गए। चेयरमैन श्री आत्मप्रकाश बत्रा ने कारगिल शहीदों को याद करते हुए कहा कि आज हम लोग शहीदों के बलिदान के कारण ही सुरक्षित है। कारगिल युद्ध में भारतीय फौज के पराक्रम को पूरी दुनिया ने देखा। श्री बत्रा ने कहा कि भारत माता के वीर सपूतों की सतर्कता, सजगता और मातृभूमि के लिए समर्पण व अद्भूत बलिदान के कारण ही हम सब न केवल स्वाधीनता का अनुभव करते हैं बल्कि एक सुरक्षित माहौल में चैन की नींद भी लेते हैं। उन्होंने कहा कि सैनिक की शहादत ही कौम की जिंदगी होती है। एक जवान जब शहीद होता है तो कौम को एक नई जिंदगी देता है, एक नई प्रेरणा प्रदान करता है। उन्होंने कॉलेज के युवा विद्यार्थियों से कैप्टन विक्रम बत्रा के जीवन से प्रेरणा लेकर देशसेवा के लिए तत्पर रहने का आह्वान किया। एमएम एजुकेशन सोसायटी प्रधान राजीव बत्रा ने कैप्टन विक्रम बत्रा की शहादत को याद करते हुए कहा कि 1999 में कारगिल युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा ने श्रीनगर-लेह मार्ग के ठीक ऊपर महत्वपूर्ण 5140 पॉइंट को पाक सेना से मुक्त कराया। बेहद दुर्गम क्षेत्र होने के बाद भी कैप्टन बत्रा ने 20 जून 1999 को सुबह तीन बजकर 30 मिनट पर इस चोटी को कब्जे में लिया। कैप्टन बत्रा ने जब रेडियो पर कहा कि यह दिल मांगे मोर तो पूरे देश में उनका नाम छा गया। इसके बाद 4875 पॉइंट पर कब्जे का मिशन शुरू हुआ। तब आमने-सामने की लड़ाई में पांच दुश्मन सैनिकों को मार गिराया। गंभीर जख्मी होने के बाद भी उन्होंने दुश्मन की ओर ग्रेनेड फैंके। इस ऑपरेशन में विक्रम बत्रा शहीद हो गए, लेकिन भारतीय सेना को मुश्किल हालातों में जीत दिलाई। ऐसे वीर शहीदों को देश कभी नहीं भुला सकता।

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